महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन, सविनय अवज्ञा और उसके आगे Class 12 History Chapter 13 NCERT Solution in Hindi » Jharkhand Pathshala

महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन, सविनय अवज्ञा और उसके आगे Class 12 History Chapter 13 NCERT Solution in Hindi

महात्मा गांधी: इस पाठ में हम गाँधी जी और उनके द्वारा चलाये गए राष्ट्रीय आंदोलन जैसे सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडीमाचॅ और भारत छोड़ो आंदोलन आदि आंदोलनों के बारे में जानेगें। इस पाठ के सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को भी पढेंगे जो वार्षिक परीक्षा के लिए अति उपयोगी है।

कुछ महत्वपूर्ण स्मरणीय तथ्य

  • 1915: महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से लौटते हैं।
  • 1917: चंपारण आंदोलन।
  • 1918: गुजरात में किसान आंदोलन तथा अहमदाबाद में मजदूर आंदोलन।
  • 1919: रोलेट सत्याग्रह।
  • 1921: असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन।
  • 1928: बरदोली में किसान आंदोलन।
  • 1929: लाहौर अधिवेशन में “पूर्ण स्वराज” को कांग्रेस का लक्ष्य घोषित किया जाता है।
  • 1931: गांधी इरविन समझोता। दूसरा गोलमेज सम्मेलन।
  • 1935: काँग्रेस मंत्रिमंडलों का त्यागपत्र। गोवर्मेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट पास हुआ।
  • 1942: भारत छोड़ो आंदोलन शुरू।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर

Q.1. पुना समझोता कब हुआ?
Ans: 1932
Q.2. लखनऊ समझोंता कब हुआ?
Ans: 1916
Q.3. खिलाफत आंदोलन का नेतृत्व किसने किया?
Ans: मुहम्मद अली और शौकत अली
Q.4. “काला विधेयक” किसे कहा जाता है?
Ans: रोलेट ऐक्ट
Q.5. असहयोग आंदोलन कब हुआ?
Ans: 1919
Q.6. भारत में साइमन कमीशन कब आया?
Ans: 1928
Q.7. प्रथम पूर्ण स्वराज कब मनाया गया?
Ans: 26 जनवरी, 1930
Q.8. भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू हुआ?
Ans: 1942
Q.9. दूसरा गोलमेज सम्मेलन कब हुआ?

Ans: 1931
Q.10. चोर चोरी हत्याकांड कब हुआ?
Ans: 1922

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

Q.1. असहयोग आंदोलन के शुरू होने के मुख्य कारण बताएं।
Ans: असहयोग आंदोलन के शुरू होने के मुख्य कारण निम्नलिखित है:
रोलेट ऐक्ट- प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1919 ईस्वी में रौलट एक्ट पास किया गया इसके द्वारा सरकार अकारण ही किसी व्यक्ति को बंदी बना सकती थी इससे असंतुष्ट होकर महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन चलाया।
जालियांवाला बाग हत्याकांड की दुर्घटना-
रॉलेक्ट एक्ट का विरोध करने के लिए अमृतसर में जालियांवाला बाग के स्थान पर एक जनसभा बुलाई गई। जनरल डायर ने इस सभा में एकत्रित लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई। भयंकर हत्याकांड हुआ। महात्मा गांधी ने इस घटना से दुखी होकर असहयोग आंदोलन प्रारंभ कर दिया।

Q.2. रोलेट ऐक्ट के प्रावधान क्या थे?
Ans: ब्रिटिश सरकार द्वारा रोलेट ऐक्ट पारित किया गया था। इस अधिनियम के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को किसी भी समय गिरफ्तार किया जा सकता था।
यह अधिनियम भारतीयों के किसी भी आंदोलन को रोकने के लिए पास किया गया। फलस्वरूप गांधीजी सहित अन्य नेताओ में तीव्र प्रतिक्रिया हुई।

Q.3. गांधी जी ने असहयोग आंदोलन क्यों वापस ले लिया?
Ans: महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया क्योंकि वे अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले थे परंतु आंदोलन के दौरान कुछ सहयोगीयो ने हिंसा का मार्ग अपना कर पास ही के एक पुलिश थाने में आक्रमण कर दिया जिसमे 22 पुलिशकर्मी घायल हो गए थे, इसी से दुखी होकर उन्होंने आंदोलन को 1922 वापस ले लिया।

Q.4. लाला लाजपत राय की मृत्यु कब और कैसे हुई?
Ans: लाला लाजपत राय पंजाब के एक महान नेता थे जिनकी मृत्यु 30 ऑक्टोबर 1998 को साइमन कमीशन के एक विरोधी प्रदर्शन पर पुलिश की लाठी चार्ज से चोट खाकर हुई।

Q.5. क्रिप्स मिशन भारत क्यों आया?
Ans: जापान को युद्ध में विफलता मिल रहे थे। इधर भारत में व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन चल रहा था। अतः स्थिति को अपने पक्ष में करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने सर स्टेफॉरड क्रिप्स को भारत भेजा, इसे ही क्रिप्स मिशन काहा जाता है।

महात्मा गांधी लघु उत्तरीय प्रश्न

Q.6. असहयोग आंदोलन क्यों चलाया गया और यह क्यों असफल हो गया?
Ans: असहयोग आंदोलन चलाए जाने के कारण- यह आंदोलन महात्मा गांधी ने सन 1921 में चलाया। इस आंदोलन के उद्देश्य अंग्रेज सरकार के साथ असहयोग करना था इसके अनेक कारण थे जिनमें से निम्नलिखित चार कारण प्रमुख थे:
1) जालियांवाला बाग में निर्दोष लोगों की हत्या करना और पंजाब में अन्याय पूर्ण कार्यों का विरोध करना।
2) सन 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम पारित करके देश के प्रांतों में द्वैध शासन लागू करना तथा भारतीय लोगों की आशाओं को निरस्त करना।
3) ब्रिटिश सरकार ने भारत को स्वराज्य देने का वचन दिया था परंतु उसको पूरा ना होते हुए देखना।
4) टर्की साम्राज्य के प्रति ब्रिटिश अन्याय को समाप्त करना।

Q.7. खिलाफत आंदोलन क्या है?
Ans: प्रथम महायुद्ध में अंग्रेज ने तुर्की के सुल्तान के विरुद्ध युद्ध लड़े थे इस युद्ध में उन्होंने भारतीय मुसलमानों का सहयोग भी प्राप्त किया था। मुसलमानों ने अंग्रेजों का साथ इस शर्त पर दिया था कि युद्ध के बाद तुर्की के सुल्तान के साथ अच्छा व्यवहार किया जाएगा परंतु युद्ध की समाप्ति पर अंग्रेजों ने वहां के सुल्तान के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया मुसलमान तुर्की के सुल्तान को अपना खलीफा मानते थे इसलिए वे अंग्रेजों से नाराज हो गए और अंग्रेजों के विरुद्ध एक आंदोलन आरंभ कर दिया, इसी आंदोलन को खिलाफत आंदोलन कहा जाता है। यह आंदोलन अली बंधुओं ने महात्मा गांधी के साथ मिलकर चलाया।

Q.8. सविनय अवज्ञा आंदोलन का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करें।
Ans: सिविल नाफरमानी अथवा सविनय अवज्ञा आंदोलन का आरंभ में गांधी जी के नेतृत्व में हुआ। यह आंदोलन दो चरणों में चला और 1933 ईस्वी के अंत तक चलता रहा इसके कारणों का वर्णन इस प्रकार है-
कारण-
1) 1928 ईस्वी में साइमन कमीशन भारत आया इस कमीशन ने भारतीयों के विरोध के बावजूद भी अपनी रिपोर्ट प्रकाशित कर दी इससे भारतीयों में असंतोष फैल गया।
2) सरकार ने नेहरू रिपोर्ट की शर्तों को स्वीकार ना किया।
3) बारदोली के किसान आंदोलन की सफलता ने गांधी को सरकार के विरुद्ध आंदोलन चलाने के लिए प्रेरित किया गांधीजी ने सरकार के सामने कुछ शर्ते रखी परंतु वायसराय ने इन शर्तों को स्वीकार ना किया।
4) इन परिस्थितियों में गांधीजी ने सरकार के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया।

Q.9. असहयोग आंदोलन का क्या प्रभाव पड़ा?
Ans: असहयोग आंदोलन के आकस्मिक स्थगन से खिलाफत के मुद्दे का भी अंत हो गया और हिंदू मुस्लिम एकता भी भंग हो गई। आंदोलन के स्थगित होने के से शीघ्र बाद ही पूरे देश में सांप्रदायिकता का बोलबाला हो गया तथा जगह-जगह भयंकर सांप्रदायिक दंगे हुए। केरल में मालाबार क्षेत्र के मोपला किसानों ने हिन्दू भू- सामंतो और साहूकारों के विरुद्ध जमीनदारी- विरोधी विद्रोह करके भयंकर रक्तपात किया। 1921-27 के दौरान सांप्रदायिक तनाव पहले से कहीं अधिक बढ़ गया महात्मा गांधी का आंदोलन के 1 वर्ष के भीतर स्वराज प्राप्ति का वायदा भी पूरा नहीं हुआ। पंजाब में किए गए अन्याय का निवारण नहीं हुआ इस प्रकार असहयोग आंदोलन अपने किसी भी घोषित उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल नहीं हो सका लेकिन इसकी चरम उपलब्धि तत्कालीन हानियों से कहीं अधिक थी। कांग्रेस की स्थिति पहले से कहीं अधिक सुदृढ़ हो गई और उसके बाद तो इसकी शक्ति बढ़ती ही गई इसने स्वतंत्रता के प्रबल इच्छा शक्ति जागृत की तथा औपनिवेशिक शासन को चुनौती देने के लिए जनता को प्रोत्साहित किया।

Q.10. गांधी इरविन समझौता की मुख्य विशेषताएं क्या थी?
Ans: 5 मार्च, 1931 को संपन्न हुए गांधी इरविन समझौता की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित है:
1) कांग्रेस की ओर से गांधी जी सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित करने के लिए सहमत हो गए।
2) कांग्रेस संवैधानिक सुधारों का प्रारूप तैयार करने के लिए इस शर्त पर द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में शामिल होने के लिए सहमत हुए कि प्रस्तावित संवैधानिक सुधारों का आधार संघीय व्यवस्था, भारत के हित को दृष्टिगत करते हुए प्रतिरक्षा वेदेशिक मामलों, अल्पसंख्यकों से संबंधित मामलों, और भारत के वित्तीय ऋणों जैसे विषयों के संबंध में सुरक्षात्मक या अरक्षात्मक व्यवस्था प्रदान करना होगा।
3) वायसराय सविनय अवज्ञा आंदोलन के संबंध में लागू किए गए अध्यादेश को वापस लेने के लिए सहमत हो गए।
4) सरकार आंदोलन के संबंध में गिरफ्तार किए गए आंदोलनकारियों को रिहा करने तथा आंदोलन के कारण जप्त की गई संपत्ति योग वापस करने के लिए सहमत हो गई।
5) सरकार समुद्र तट की कुछ दूरी के भीतर रहने वाले लोगों को निशुल्क समुद्री नमक लेने या बनाने की अनुमति देने के लिए सहमत हो गई।

महात्मा गांधी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Q.11. गोलमेज सम्मेलन से से वार्ता से कोई नतीजा क्यों नहीं निकल पाया?
Ans: गोलमेज सम्मेलन में हुई वार्ता से नतीजा नहीं निकलने के कारण निम्नलिखित हैं:

  • प्रथम गोलमेज सम्मेलन (नवंबर 1930) में वायसराय इरविन के सामने जो शर्ते रखी गई उनमें सभी कैदियों की रिहाई और तटीय इलाकों में नमक उत्पादन की अनुमति देना शामिल था परंतु इसे स्वीकार नहीं किया गया फिर इसमें कोई भारतीय नेता नहीं था।
  • द्वितीय गोलमेज सम्मेलन 1930 में हुआ। लंबी बैठकों के पश्चात कोई नतीजा नहीं निकला वस्तुतः भारतीय नेताओं में दो विवाद उत्पन्न हो गए, गांधी जी का कहना था कि उनकी पार्टी पूरे भारत का नेतृत्व करती है इस दावे को तीन पार्टियों ने चुनौती दी।
  • प्रत्येक दल और नेता अपने-अपने पक्ष, विचार, तर्क और मांगे रखते रहे जिसका कुछ भी परिणाम नहीं निकल सका और गांधीजी खाली हाथ भारत लौट आए यहां आकर उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू की।
  • भारत में नए वायसराय लॉर्ड विलिंगटन को गांधी जी से बिल्कुल हमदर्दी नहीं थी। उसने एक निजी पत्र में स्पष्ट रूप से इस बात की पुष्टि की थी “अगर गांधी ना होता तो यह दुनिया वाकई बहुत खूबसूरत होती वह जो भी कदम उठाता है उसे ईश्वर की प्रेरणा का परिणाम कहता है, लेकिन असल में उसके पीछे एक गहरी राजनीतिक चाल होती है, लेकिन सच यह है कि हम निहायत और अव्यवहारि, रहस्यवादी और अंधविश्वास की जनता के बीच रह रहे हैं, जो गांधी जी को भगवान मान बैठी है।
  • जब गांधी जी का सविनय अवज्ञा आंदोलन चला रहा था, ब्रिटिश सरकार ने लंदन से तीसरा गोलमेज सभा बुलाई इंग्लैंड की लेबर पार्टी ने इसमें भाग नहीं लिया कांग्रेस पार्टी ने भी कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार किया सरकार की हां में हां मिलाने वाले कुछ भारतीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया सम्मेलन में लिए गए निर्णय को श्वेत पत्र के रूप में प्रकाशित किया और इसके आधार पर 1935 का गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट पास किया गया।

Q.12. रौलट एक्ट क्या था? इस एक्ट का विरोध किस प्रकार किया गया?
Ans: बढ़ती हुई क्रांतिकारी आतंकवादी गतिविधियों और लड़े जा रहे प्रथम विश्वयुद्ध को दृष्टिगत करते हुए गवर्नर जनरल लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने लंदन में न्याय पीठ के न्यायाधीश सिडनी रोलेट की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की इस समिति को भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों के स्वरूप एवं उनके विस्तार की जांच करने और यदि आवश्यक हो तो उनसे प्रभावशाली ढंग से निपटने के लिए विधेयक प्रस्तावित करने का कार्य सौंपा। व्यापक रूप से समीक्षा करते हुए निरोधात्मक एवं दंडात्मक दोनों प्रकार के विशेष विधेयकों का सुझाव दिया।
रोलेट समिति के सुझाव पर केंद्रीय विधान परिषद के सम्मुख दो विधेयक प्रस्तुत किए गए इनमें से एक विधेयक को तो वापस ले लिया गया परंतु दूसरे क्रांतिकारी एवं अराजकतावादी अधिनियम को मार्च 1919 में पारित कर दिया गया। इस अधिनियम में अपराधों के लिए न्यायिक प्रक्रिया को तीव्र करने के लिए उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों से युक्त एक विशेष न्यायालय के गठन का प्रावधान किया गया इस न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध अपील नहीं की जा सकती थी और इसमें भारतीय साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता था। इसके अतिरिक्त प्रांतीय सरकारों को किसी भी स्थान की तलाशी लेने और बिना वारंट के किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार कर दें के संबंध में व्यापक अधिकार प्रदान किए गए। जैसे ही सरकार ने इन 2 विधेयकों को पेश किया गांधी जी ने सत्याग्रह अभियान संगठित करने का निश्चय किया उन्होंने तथाकथित रौलट एक्ट कि यह कहते हुए आलोचना की कि यह अनुच्छेद स्वतंत्रता के सिद्धांतों का विरोधी तथा व्यक्ति के मूल अधिकारों की हत्या करने वाला है। अभियान का संगठन करने के लिए एक सत्याग्रह सभा स्थापित की गई जिसके अध्यक्ष स्वयं गांधी जी थे।
रोलेट विरोधी सत्याग्रह के प्रथम चरण में स्वयंसेवकों ने कानून को औपचारिक चुनौती देते हुए गिरफ्तारियां की। दूसरे चरण में 6 अप्रैल 1919 को देशव्यापी हड़ताल आयोजित की गई। इसके बाद मुंबई, अहमदाबाद तथा कई अन्य नगरों में सार्वजनिक विरोध तथा हिंसा का मार्ग अपनाया गया लेकिन 13 अप्रैल 1909 को जालियांवाला बाग के हत्याकांड के बाद रौलेट विरोधी सत्याग्रह का जोर समाप्त हो गया।
रौलट एक्ट विरोधी सत्याग्रह से कांग्रेस राष्ट्रीय संस्था में परिवर्तित हो गई। एक नेता ने नई विचारधारा तथा नई राजनीति के साथ इसका नेतृत्व किया।

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