Satta Ki Sajhedari: सत्ता की साझेदारी राजनीतिक विज्ञान कक्षा 10 पाठ 1 » Jharkhand Pathshala

Satta Ki Sajhedari: सत्ता की साझेदारी राजनीतिक विज्ञान कक्षा 10 पाठ 1

Satta Ki Sajhedari: सत्ता की साझेदारी: इस आर्टिकल में आप कक्षा 10 की राजनीतिक विज्ञान की अध्याय 1 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर दिए गए है। ये सभी प्रश्न उत्तर कक्ष 10 की वार्षिक परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण है।

सत्ता की साझेदारी उत्तरीय प्रश्न उत्तर : Satta Ki Sajhedari

Q.1. गृहयुद्ध किसे कहते है?
Ans: जब एक ही देश में रहने वाले विभिन्न गुटों में आपसी संघर्ष और मार काट शुरू हो जाती है तो ऐसे खानाजंगी को गृहयुद्ध का नाम दिया जाता है, जैसे श्रीलंका में तमिलों और सिंहलि समुदाय में अभी तक गृहयुद्ध चल रहा है।

Q.2. सामुदायिक सरकार से क्या अभिप्राय है?
Ans: सामुदायिक सरकार ऐसी सरकार को कहते है जिसका चुनाव एक ही भाषा बोलने वाले लोग करते है जैसे बेल्जियम में रहने वाले डच, फ्रेंच, और जर्मन बोलने वाले समुदाय। ऐसी सरकार को संस्कृति, शिक्षा और भाषा जैसे मसलों पर फैसले लेने का अधिकार होता है।

Q.3. श्रीलंका में आपसी झगड़े का मुख्य कारण क्या है?
Ans: श्रीलंका की जनसंख्या में 74% सिंहलियों का है जबकि 18% भाग तमिलों का है। वहाँ की सरकार ने सिंहलियों के बहुसंख्यकवाद के तमिलों पर थोपने का प्रयत्न किया जो तमिलों को सहन न हो सका। इस प्रकार वहाँ गृहयुद्ध आरंभ हो गया जो आज तक शांत नहीं हो सका।

Q.4. जातीय संघर्ष से क्या तात्पर्य है?
Ans: सामाजिक विभाजन जिसमे हर समूह अपनी अपनी संस्कृति को अलग मानता है यानि यह साझी संस्कृति पर आधारित सामाजिक विभाजन है। किसी भी जातीय समूह के सभी सदस्य मानते है कि उनकी उत्पत्ति समान पूर्वजों से हुई है और इसी कारण उनकी शारीरिक बनावट और संस्कृति एक जैसी है। जरूरी नहीं कि ऐसे समूह के सदस्य कीकी एक धर्म के मानने वाले हो या उनकी राष्ट्रीयता एक हो।

सत्ता की साझेदारी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर : Satta Ki Sajhedari

Q.5. सत्ता की साझेदारी क्या है? इसके क्या लाभ है?
Ans: सत्ता की साझेदारी से हमारा अभिप्राय एक ऐसी व्यवस्था से है जिसमे किसी देश की प्रशासनिक व्यवस्था में सभी लोगों की भागीदारी होती है। ऐसी व्यवस्था के अनेक लाभ है जिनमे से कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित है:

  • सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र का मूलमंत्र है।
  • जब देश के सभी लोगों को देश की प्रशासनिक व्यवस्था में भागीदारी बनाया जाता है तो देश और मजबूत होता है।
  • जब बिना भेदभाव के सभी जातियों के हितों को ध्यान में रखा जाता है तो किसी संघर्ष की संभावना नहीं रहती है और देश निरंतर बिना किसी रुकावट के प्रगति के पथ पर चलता रहता है।

Q.6. सत्ता की साझेदारी क्यों है?
Ans: सत्ता की साझेदारी के जरूरी होने के पक्ष में निम्नलिखित दो तर्क दिए जाते है-

  1. सत्ता का बंटवारा होने से विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है। सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है।
  2. सत्ता की साझेदारी दरअसल लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का मतलब ही होता है कि लोग इस शासन व्यवस्था के अंतर्गत है, उनके बीच सत्ता को बाँटा जाए। इसलिए वैध सरकार वही है जिसमे अपनी अपनी भागीदारी के माध्यम से अभी समूह शासन व्यवस्था से जुडते है।

Q.7. श्रीलंका के समाज की जातीय बनावट की व्याख्या करे।
Ans: श्रीलंका एक द्वीपीय देश है जो भारत के दक्षिणी तट से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बेल्जियम की ही भांति यहाँ भी कई जातीय समूह के लोग रहते है। देश की आबादी का लगभग 74% भाग सिंहलियों का है जबकि कोई 18% लोग तमिल है। बाकी भाग अन्य छोटे छोटे जातीय समूहों जैसे- ईसाई और मुसलमानों का है। देश के उत्तर- पूर्वी भागो में तमिल लोग अधिक है जबकि देश के बाकी हिस्सों सिंहली लोग बहुसंख्यक है। यदि श्रीलंका के लोग चाहते तो वे भी बेल्जियम की भांति अपने जातीय मसले का कोई उचित हाल निकाल सकते थे, लेकिन वहाँ बहुसंख्यक समुदाय ने अपने बहुसंख्यवाद को दूसरों पर थोपने का प्रयत्न किया जिससे वहाँ गृहयुद्ध आरंभ हो गया।

Q.8. “श्रीलंका में सरकार की नीतियों ने सिंहली भाषी बहुसंख्यक का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया”। क्या आप इस कथन से सहमत है?
Ans: 1948ई. में श्रीलंका आजाद हुआ। 1956 ई. में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित किया गया। विश्वविद्यालयों एवं सरकारी नौकरियों ने सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति अपनाई। नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी। श्रीलंकाई तमिलों को लगा कि संविधान और सरकार की नीतियाँ उन्हे समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही है। इसका परिणाम यह हुआ कि तमिल और सिंहली समुदाय के संदर्भ बिगड़ते चले जाए।

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