शुंग वंश BA History Honours Semester II BBMKU University.

शुंग वंश BA History Honours Semester II BBMKU University.

शुंग वंश: विद्यार्थी जो BBMKU यूनिवर्सिटी इतिहास ऑनर्स ले के पढाई कर रहे है उन विद्यार्थियों के सहयोग के लिए शुंग वंश की नोट्स तैयार की गयी है। इतिहास स्नातक के विद्यार्थी झारखण्ड पाठशाला को फॉलो कर सकते है।

शुंग वंश BA History Honours Semester II BBMKU University.
शुंग वंश

शुंग वंश 187 ईo पूo से 75 ईo पूo तक।

शुंग वंश का संस्थापक पुष्यमित्र शुंग था जिसने सफल विद्रोह के द्वारा अंतिम मोर्य शासक ब्रिद्रथ की हत्या कर इस वंश की नींव रखी।

बाणभट्ट द्वारा रचित ‘हर्षचरित‘ से सम्राट ब्रिद्रथ के सेनापति पुष्यमित्र शुंग द्वरा हत्या का उल्लेख मिलता है।

धनदेव का अयोध्या अभिलेख पुष्यमित्र द्वारा दो अश्वमेध यग करवाने की जानकारी देता है। यह यग पतंजलि ने संपन्न कराये थे।

स्मिथ के अनुसार, कलिंग नरेश खारवेल ने पाटलिपुत्र के शासक बृहस्पति मित्र शासक की पराजय की बात की है। यह बृहस्पति मित्र कोई और नहीं बल्कि पुष्यमित्र शुंग था।

महर्षि पाणिनि ने पुष्यमित्र शुंग को भारद्वाज गोत्र से सम्बंधित बताया है जिसकी राजधानी विदिशा थी।

मालविकग्निमित्र के अनुसार, पुष्यमित्र शुंग ने विदर्भ के राजा यज्ञसेन को परास्त कर इसने सेनानी की उपाधि धारण की थी।

दिव्यावदान एवं आर्यमंजूश्रीमूलकल्प में पुष्यमित्र शुंग द्वारा बौद्धों के उत्पीड़न का उल्लेख है किन्तु पुष्यमित्र शुंग ने भरहुत का स्तूप बनवाया तथा साँची के स्तूप के चरों और चार दिवारी का निर्माण कराया।

शुंग काल में संस्कृत भाषा का पुनरुत्थान हुआ। इसके उत्थान में महर्षि पतंजलि का विशेष योगदान था।

अग्निमित्र: यह पुष्यमित्र का पुत्र था। पुष्यमित्र के बाद उसका पुत्र ही शासक बना। कालिदास के प्रशिद्ध काव्य मालविकाग्निमित्र का मुख्य पात्र अग्निमित्र है। इसमें मालविका और अग्निमित्र की प्रेम कहानी का वर्णन है।

अग्निमित्र के पश्चात् उसका पुत्र सुज्येष्ठ शासक बना। इसके सिक्के पर इसका नाम जेठमित्र उत्कीर्ण है। मालविकाग्निमित्र एवं गार्गी संहिता से यवन अग्रमण की जानकारी मिलती है जिसे पुष्यमित्र शुंग के पोत्र एवं अग्निमित्र के पुत्र ने धराशायी किया था।

सुज्येष्ठ के बाद वसुमित्र शासक बना जिसकी हत्या कौशल के मुलदेव ने कर दी। इसके बाद वज्रमित्र हुआ और इसका उत्तराधिकारी भागभद्र था।

भगभद्र के दरबार में ग्रीक शासक एंटीयलकिड्स का राजदूत हेलियोडोरस रहता था। भगवत धर्म से प्रभावित होकर हेलियोडोरस ने बेसनगर नामक स्थान में वसुदेव के सम्मान में एक गरुड़-स्तम्भ की स्थापना की जिस पर दंभ (आत्मनिग्रह ) छाया (त्याग) एवं अप्रमाद (सतर्कता) तीन शब्द अंकित थें।

अंतिम शुंग शासक देवभूति था जिसके हत्या उसके ब्राह्मण मंत्री वसुदेव ने कर दी थी और सत्ता पर अधिकार कर कण्व वंश की स्थापना की थी।

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