सूर्यकांत त्रिपाठी : Suryakant Tripathi Nirala ji ka jivan Parichay

सूर्यकांत त्रिपाठी : Suryakant Tripathi Nirala ji ka jivan Parichay

हिंदी साहित्य के महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का जन्म 26 फरवरी 1899 में बंगाल के मेदिनीपुर जिले के महिषादल नामक गांव में हुआ था। निराला जी के पिता जी का नाम पंडित रामसहाय त्रिपाठी तथा माता का नाम रुकमणी देवी था। निराला जी के पिता जी पंडित रामसहाय त्रिपाठी जी महीषादल रियासत में एक सिपाही की नौकरी करते थे। निराला जी के कुंडली के अनुसार इनका नाम सूरज कुमार रखा गया था। निराला जी जब केवल 3 वर्ष के थे, तब ही इनके माता का निधन हो गया था। निराला जी के माता के निधन के बाद इनका पालन-पोषण इनके पिता जी ने किया था।

Suryakant Tripathi

निराला जी जब लगभग 20 वर्ष के थे,तब इनके पिता जी का भी निधन हो गया था। निराला जी के सर से माता और पिता दोनों का साया छूट चुका था। निराला जी भी महिषादल रियासत में नौकरी करने लगे, लेकिन यह नौकरी निराला जी के जीवन यापन करने के लिए बहुत ही कम था। निराला जी का जीवन बहुत ही कष्टकारी आर्थिक मंदी के साथ गुजर रहा था। निराला जी के सबसे खास बात तो यह थी कि निराला जी अपनी कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने सिद्धांतों का साथ कभी नहीं छोड़ा। निराला जी सदैव अपने धैर्य और साहस के साथ अंत तक अपना जीवन व्यतीत किया।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का वैवाहिक जीवन

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का विवाह 15 वर्ष की उम्र में एक पंडित परिवार में मनोहरा नामक कन्या के साथ विवाह संपन्न हुआ था। निराला जी के पत्नी मनोहरा देवी खूबसूरत के साथ-साथ शिक्षित भी थी तथा इनकी रूचि संगीत में बहुत थी। निराला जी का जीवन विवाह के पश्चात बहुत ही सुखी पूर्वक व्यतीत होने लगा था। मनोहरा देवी ने एक पुत्र और पुत्री को जन्म दिये थे। लेकिन निराला जी का यह खुशी ज्यादा दिन तक नहीं रहा था। कुछ वर्ष के पश्चात ही निराला जी के पत्नी मनोहरा देवी का भी निधन हो गया था। मनोहरा देवी के निधन के पश्चात निराला जी बहुत टूट चुके थे। उसके पश्चात वे पून: आर्थिक मंदी से जूझने लगे। निराला जी ने खराब से खराब परिस्थितियों मैं भी कभी समझौता नहीं किये, बल्कि निराला जी हर परिस्थितियों मैं भी संघर्ष किये।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का शैक्षिक जीवन

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी अपनी प्रारंभिक शिक्षा बंगाल के ही एक विद्यालय से प्राप्त किये थे। निराला जी ने केवल हाईस्कूल तक ही शिक्षा ग्रहण किये थे। निराला जी हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात उन्होंने अपने घर में ही हिंदी संस्कृत तथा बंगला आदि भाषाओं का अध्ययन किये।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का साहित्यिक जीवन

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने बचपन से ही अपनी रूचि साहित्य के क्षेत्र में दिखाये। निराला जी को हिंदी के तरफ इसके पत्नी ने ही प्रेरित किये थे। उसके बाद निराला जी बंगला के बजाय हिंदी में ही कविताएं, उपन्यास, निबंध आदि लिखने लगे। निराला जी ने मृत्यु तक के सफर में बहुत ही अच्छे कविताएं लिखे, जो आज भी पूरे भारत में विख्यात है और लोकप्रिय हैं। निराला जी के कविताएं को बहुत श्रेष्ठ माना जाता है।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के रचनाएं

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी एक प्रसिद्ध लेखक थे। निराला जी का सारे रचनाएं विश्व विख्यात है। निराला जी हिंदी भाषा को एक नई शैली और अभिव्यक्ति प्रदान करते हुए अपना एक अविस्मरणीय स्थान बनाये थे। निराला जी अनेक प्रकार की रचनाएं लिखें हैं – कहानी संग्रह निबंध, उपन्यास तथा काव्य की रचनाएं के साथ-साथ अन्य भाषाओं की रचनाओं का हिंदी में अनुवाद भी किये हैं। निराला जी समाज की विसमताओ, शोषण तथा अन्याय के खिलाफ किया गया संघर्ष निराला जी के रचनाओं में भी देखने को मिलता है। निराला जी अपने पुत्री के मृत्यु के पश्चात एक “सरोज स्मृति” कविता 1935 में अपनी पुत्री सरोज की याद में लिखे थे।

काव्य संग्रह: Suryakant Tripathi Nirala

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के काव्य संग्रह बहुत ही लोकप्रिय हैं। निराला जी के कुछ प्रमुख काव्य संग्रह है –

  • अनामिका
  • गीतिका
  • बेला
  • नए पत्ते
  • आराधना
  • सांध्य काकली
  • अपरा
  • रागविराग
  • दो शरण
  • गीत कुंज
  • अणिमा
  • परिमल
  • कुकुरमुत्ता
  • अर्चना
  • बादल राग
  • जूही की कली
  • तुलसीदास

उपन्यास: Suryakant Tripathi Nirala

  • अलका
  • प्रभावती
  • निरुपमा
  • अप्सरा
  • चमेली
  • इंदुरेखा
  • काले करनामे
  • चोटी की पकड़
  • कुल्ली भाट बिल्लेसुर
  • बिल्लेसुर बकरीहा

कहानी संग्रह: Suryakant Tripathi Nirala

  • देवी
  • लिली
  • सुकून की बीवी
  • चतुरी चमारी
  • सखी

निबंध : Suryakant Tripathi Nirala

  • प्रबंध-प्रतिमा
  • चयन
  • चाबुक
  • संग्रह
  • रविंद्र कविता कानन
  • बंगभाषा का उच्चरण
  • प्रबंध-परिचय

काव्य भाषा : Suryakant Tripathi Nirala

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी के काव्य भाषा में खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है। निराला जी का खड़ी बोली पर पूर्ण अधिकार था। कवि निराला जी का मानना था कि कवि को अपने भावों के अनुरूप भाषा का प्रयोग करना चाहिए। भावों के अनुरूप भाषा का प्रयोग करने से काव्य मैं और सुंदरता आती है। निराला जी ने अपने काव्य भाषा में भावों के अनुरूप ही शब्दों का प्रयोग किये हैं। निराला जी की काव्य भाषा सरल एवं सहज है। निराला जी अपने काव्य भाषा में खड़ी बोली के साथ-साथ अंग्रेजी तथा उर्दू आदि शब्दों का भी प्रयोग किये हैं।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का निधन

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी हिंदी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में एक माने जाते हैं। निराला जी ने अपने जीवन काल में अनेक रचनाएं लिखे हैं, जो आज भी इनके रचनाएं लोकप्रिय हैं। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने अपने जीवनकाल में जितने भी दुर्भाग्य का सामना किया था, निश्चित रूप से इसके अतीत के बाद भी इन्हें निराला जी को बहुत परेशान किया, एक घातक बीमारी में परिणत हुआ। निराला जी अपने जीवन के अंतिम दिनों के दौरान शिजोफ्रेनिया का शिकार थे। उसके बाद निराला जी का निधन 15 अक्टूबर 1961 में हो गया था।

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